The Ultimate Guide To हिंदी कहानियां

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भूमि ही क्या संसार के जितने भी पदार्थ हैं धन सम्पति हैं मकान आदि हैं, इनमें से कुछ भी तुम्हारा नही हैं.

कक्षा १,२,३,४,५,६,७,८,९,१० के बच्चों को यह कहानी आप बता सकते हैं.

ऐसा विचार कर उन्होंने बुद्धिमान शिष्य की परीक्षा लेने का निर्णय लिया,

कुछ देर तक वे भूमि के साथ कान लगाए रहे, फिर सीधे बैठ गये और गंभीर वाणी में बोले- यह भूमि तो कुछ और ही कह रही हैं.

उसने संदेश भिजवाया कि जिस व्यक्ति ने मेरे प्रश्नों को हल किया हैं, उससे हम अपनी कन्या का विवाह करना चाहते हैं.

प्राध्यापक तीरथराम बड़े प्रसन्न हुए और कहने लगे- ” जीवन का भी यही रहस्य हैं,

वह धनी नवयुवक उस परेशान व्यक्ति के पास पंहुचा और उनसे ख़ामोशी का कारण पूछा

खरगोश भासुरक सिंह को कुए की मेड पर ले गया,भासुरक ने झुककर देखा तो अपनी ही परछाई दिखाई दी, उसने समझा यही दूसरा सिंह हैं. तब वह जोर से गरजा ,

तब से वन्य प्राणी निर्भय होकर रहने लगे, इसी क्रम में कुछ दिनों बाद एक खरगोश की बारी आई, खरगोश सिंह की गुफा की ओर चल पड़ा.

तभी दुसरे दोस्त बोले- इसे हम सबने एक साथ देखा, इसलिए यह हम सबका हैं.

पाठशाला के रस्ते में घने पेड़ और झाड़ियाँ थी. पास ही एक जल का नाला बहता था.

महात्मा जी ने उत्तर दिया, हाँ वह अवश्य बोलती हैं, परन्तु उसकी आवाज तुम लोग नही सुन सकते हो, हम सुन सकते हैं, किन्तु यह बताओं कि भूमि जो निर्णय देगी, क्या तुम दोनों को वह मान्य होगा?

और बोला- मेने किसी की बात नही मानी, अड़ा रहा पर तेरा कहना तो मानना ही पड़ेगा. किन्तु केवल सोने की माला से काम चलने वाला नही हैं

वह बालक अपनी धुन का पक्का व दृढ निश्चयी था. वह कुछ नही बोला और जमीदार की नौकरी छोड़कर अपने घर की ओर चल पड़ा. उसने अपनी पढाई चालु रखी.

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